मॉस्को, : जियो-पॉलिटिक्स में कौन किसके साथ है और कौन किसके खिलाफ, इसका फैसला देश अपने हितों को ध्यान में रखकर करते हैं और कुछ देश अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को अपने इशारे पर चलाने के लिए ‘खेल’ खेलते रहते हैं।जैसे अमेरिका ने कहा कि, उसके लिए भारत और पाकिस्तान, दोनों का महत्व है, वहीं, रूस का सबसे जरूरी दोस्त भी यूक्रेन युद्ध के बीच उसके पीछा छुड़ाता हुआ नजर आ रहा है और पिछले दो हफ्ते में दो ऐसे बड़े संकेत मिल गये हैं। चीन की सरकारी कंट्रोल्ड मीडिया में पहली बार ऐसा हुआ है, कि रूस की क्षमता पर गंभीर सवाल उठाए गये हैं और पिछले 7 महीने से चले आ रहे यूक्रेन युद्ध में पहली बार ऐसा हुआ है, कि चीन ने रूस की सैन्य और रणनीतिक क्षमता को ‘कमजोर’ कहा है। इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी पुतिन के सामने यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी चिंताएं जता चुके हैं।चीन की सरकारी नियंत्रित मीडिया ने हाल ही में पुतिन की अपने 3 लाख रिजर्व सैनिकों को यूक्रेन में भेजने और परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए नवीनतम खतरों पर एक आश्चर्यजनक आलोचनात्मक ली है, जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या चीनी मीडिया ने सोची-समझी रणनीति के तहत रूस की आलोचना शुरू कर दी है? क्योंकि, अब तक चीनी मीडिया यूक्रेन युद्ध में रूस की तरफ से चीयरलीडर की भूमिका में थी। चीनी राजनीतिक टिप्पणीकार भी वही टिप्पणी करते हैं, जो सरकार की लाइन होती है, लेकिन इस बार चीनी रणनीतिकारों का कहना है, कि भले ही मॉस्को पर्याप्त रूप से अधिक सैनिकों की भर्ती कर सकता है, लेकिन आने वाले सर्दियों के मौसम में युद्ध के मैदान में रूसी सैनिक को यूक्रेनी सैनिकों के ऊपर मामूल बढ़त ही हासिल हो पाएगी। चीनी एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि, “रूसी सैनिक खराब खाद्य आपूर्ति, पुराने हथियारों और कम मनोबल से पीड़ित हैं।” चीनी मीडिया में जो कहा गया है, वो लाइन पश्चिमी मीडिया की होती है और पश्चिमी देशों की मीडिया रूस की आलोचना करती है, लेकिन चीनी मीडिया में जो कहा गया है, वो आश्चर्यजनक है।

 

Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।