नई दिल्ली मौजूदा सीजेआई जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अगुआई में आज होने जा रही सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की बैठक में खटास बढ़ने के आसार लग रहे हैं. अमूमन उत्तराधिकारी तय होने और राष्ट्रपति की ओर से अधिसूचना यानी वारंट जारी होने के बाद कोलेजियम की बैठक अमूमन नहीं होती. क्योंकि ये माना जाता है कि आने वाले चीफ जस्टिस की अगुआई वाली कोलेजियम ही उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति, तबादले और तरक्की को लेकर फैसले लें तो बेहतर रहता है.
अब सूत्रों के हवाले से तो यही कहा जा रहा है कि इस कोलेजियम में दो सदस्य जज जस्टिस बोबडे के मीटिंग बुलाने और उससे भी ज्यादा मीटिंग के एजेंडे के खिलाफ हैं. मामला त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अकील कुरैशी को सुप्रीम कोर्ट लाने पर फंसा है, क्योंकि वो देश भर के हाईकोर्ट्स में जजों की वरिष्ठता क्रम में ऊपर हैं के मुताबिक, चीफ जस्टिस के बाद वरिष्ठतम जजों ने ही इस कोलेजियम मीटिंग पर आपत्ति जताई है. मीटिंग तो होगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए किसी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम की कोई सिफारिश होगी इस पर गहरी आंशका है
इसी से जुड़ा दूसरा पहलू कर्नाटक हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस बीवी नागरत्ना का है. उनको सुप्रीम कोर्ट लाने को लेकर उत्सुकता की वजह ये है कि अगर वरिष्ठता क्रम को दरकिनार कर जस्टिस नागरत्ना को सुप्रीम कोर्ट लाया जाता है तो वो देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हो जाएंगी, लेकिन इस सिफारिश में देरी होती है तो वो हाई कोर्ट से ही रिटायर हो जाएंगी
हालांकि वरिष्ठता क्रम को लेकर ही हिचक कई बार सामने आ चुकी है. पहले भी कई बार कोलेजियम में उनको सुप्रीम कोर्ट लाए जाने पर विचार कर चुका है लेकिन एकराय तो क्या बहुमत तक नहीं बन पाया. जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस नागरत्ना के अलावा भी सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों पर नियुक्तियों को लेकर कुछ संवेदनशील मुद्दे हैं जिन पर माहौल गरम रह सकता हैसुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा का भी यही मत है कि इस स्वस्थ परंपरा का पालन होते रहना चाहिए. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश करने वाले कोलेजियम की अगुआई चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे कर रहे हैं. उनके अलावा राष्ट्रपति की ओर से नामित भावी चीफ जस्टिस एनवी रमणा, वरिष्ठता क्रम में नंबर तीन जस्टिस रॉइंटन नरीमन, नंबर चार जस्टिस अशोक भूषण और नंबर पांच जस्टिस एएम खानविलकर हैं