प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि मौजूदा मामले को देखते हुए जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला चौंकाने वाला नहीं है, बल्कि यह दुखद और शर्मनाक है। उन्होंने आगे कहा कि लाखों भारतीयों को एक न्यायप्रिय और ईमानदार न्यायपालिका में विश्वास है, न्याय और जनता का विश्वास तोड़ने का सरकार का प्रयास दुस्साहसी है।

वहीं राहुल गांधी ने कहा कि बहादुर जज लोया को याद कर रहा हूं, उनका तबादला नहीं हुआ था। दरअसल, मुरलीधर को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया है। उन्होंने दिल्ली हिंसा के मामले पर सुनवाई की थी।

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि कई भाजपा नेताओं को बचाने और हिंसा की साजिश का पर्दाफाश नहीं होने देने के मकसद से सरकार ने तबादला कराया है। सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि यह कपिल मिश्रा और कुछ अन्य भाजपा नेताओं को बचाने का षड्यंत्र है, लेकिन ‘मोदी-शाह सरकार’ सफल नहीं होगी।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ’26 फरवरी को न्यायमूर्ति मुरलीधर एवं न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की दो न्यायाधीशों की पीठ ने दंगा भड़काने में कुछ भाजपा नेताओं की भूमिका को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत तत्काल कार्यवाही करने का आदेश दिया। इसके कुछ घन्टे बाद ही एक न्यायधीश का तबादला कर दिया गया।’ उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने न्यायपालिका की निष्पक्षता पर हमला बोला है। न्यायपालिका के खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है।

सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या भाजपा नेताओं को बचाने के लिए तबादले का यह कदम उठाया गया? क्या भाजपा सरकार को डर था कि भाजपा नेताओं के षड्यंत्र का पर्दाफाश हो जाएगा? कितने और न्यायाधीशों का तबादला करेंगे? उन्होंने दावा किया, ‘न्यायपालिका पर दबाव डालने का काम भाजपा सरकार ने कोई पहली बार नहीं किया है। पहले भी कई बार कर चुकी है। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ, न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति गीता मित्तल के मामलों में ऐसा किया गया।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 12 फरवरी की सिफारिश को बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे से चर्चा के बाद मंजूरी दे दी। इस संदर्भ में अधिसूचना जारी कर दी गई है। बुधवार को जस्टिस मुरलीधर की पीठ ने दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस को फटकार लगाते हुए तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर के लिए कहा था।

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते कॉलेजियम द्वारा जस्टिस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश होने पर दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोएिसशन के वकीलों ने नाराजगी जताई थी। जस्टिस मुरलीधर को 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट बतौर जज नियुक्त किया गया था। वह 2023 में सेवानिवृत्त होंगे।

Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।