डीएवी कॉलेज, जालंधर में एसएडब्लूसी (स्टूडेंट एडवाइजरी एंड वेलफेयर काउंसिल) द्वारा आयोजित दिवाली मेला 2.0 ने कॉलेज परिसर को एक भव्य उत्सव और उल्लास से भर दिया। यह मेला केवल एक पारंपरिक त्योहार की खुशियाँ बाँटने का अवसर नहीं था, बल्कि छात्रों को अपनी रचनात्मकता और नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करने का भी काम किया। इस मेले में विभिन्न आकर्षक स्टॉल्स, खेल, और सांस्कृतिक गतिविधियाँ थीं, मुख्यतः तीन श्रेणियाँ फ़ूड, आर्ट एंड क्राफ्ट, तथा गेम्स में कुल 25 स्टॉल्स थीं। 
खाने के स्टॉल्स पर पारंपरिक भारतीय स्वादों की भरमार थी, जिसमें गोलगप्पे, भेल पूरी, पोहा, चीज़ केक, और हैंडमेड चॉकलेट जैसे व्यंजन शामिल थे। यहाँ पर छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर इन स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया।  कला और शिल्प की स्टॉल्स ने रंग-बिरंगी सजावट और हस्तनिर्मित पेंटिंग्स, सजावटी बॉटल्स, दीयों और मोमबत्तियों से परिसर में रौनक बिखेर दी। इन स्टॉल्स पर विद्यार्थियों की रचनात्मकता का एक अनूठा प्रदर्शन हुआ, जिसने सभी को आकर्षित किया। इन हस्तनिर्मित वस्तुओं की खरीदारी ने त्योहार के दौरान एक व्यक्तिगत स्पर्श भी जोड़ा। खेलों की स्टॉल्स पर रिंग टॉस, बलून डार्ट, ऑनलाइन गेमिंग, स्पिन व्हील, लकी ड्रॉ, कंपेटबिल्टी टेस्ट और लकी डीप जैसे गतिविधियों ने रोमांच पैदा किया। आशीमा अरोड़ा लकी ड्रा की विजेता बनी। विजेताओं को इनाम देने के साथ-साथ, मेले के समापन पर रंगीन हॉट एयर बलूंस का अद्भुत दृश्य उपस्थित लोगों के लिए एक खास आकर्षण बन गया।
प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने छात्रों की कड़ी मेहनत और एसएडब्ल्यूसी की आयोजन क्षमता की सराहना करते हुए उन्हें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजनों से न केवल छात्रों की प्रतिभा उजागर होती है, बल्कि यह समाज में एकता और सौहार्द भी बढ़ाता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ उप-प्राचार्य डॉ. एस. के. तुली, उप-प्राचार्य प्रो. कुँवर राजीव, रजिस्ट्रार प्रो. सोनिका, और एलएसी सदस्य डॉ. नवीन सूद, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो मनीष खन्ना, डिप्टी डीन डॉ कोमल सोनी, डॉ संजीव धवन, प्रो नवीन सेनी, डॉ राज कुमार, प्रो मनोज कुमार सहित कॉलेज की संपूर्ण फैकल्टी मौजूद थी।

डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. मनीष खन्ना ने छात्रों की मेहनत की सराहना की और दिवाली मेला 2.0 की सफलता को छात्रों की कड़ी मेहनत, नेतृत्व और एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से न केवल सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना में वृद्धि होती है, बल्कि यह विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बनता है।  

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