डीएवी कॉलेज जालंधर के कंप्यूटर विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ललित गोयल ने भारतीय सांकेतिक भाषा के क्षेत्र में अपने शोध कार्य के लिए एक और कॉपीराइट प्राप्त करके एक और मुकाम हासिल किया है। डॉ. गोयल को यह कॉपीराइट कंप्यूटर कोड विकसित करने के लिए मिला है, जो रेलवे स्टेशनों की घोषणाओं में उपयोग किए जाने वाले शब्दों के लिए एनिमेशन बनाने में सक्षम हैं। डॉ. गोयल ने बताया कि डॉ. विशाल गोयल (प्रोफेसर, कंप्यूटर विभाग, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला) के सम्मानित मार्गदर्शन और प्रेरणा के तहत, वह डेफ (बहरे) लोगों के लिए विभिन्न परियोजनाओं में काम कर रहे हैं।डॉ. गोयल ने बताया कि इन एनिमेशनों की खास बात यह है कि ये मानव वीडियो की तरह नहीं हैं इस लिए ये एनिमेशन कंप्यूटर मेमोरी का बहुत कम उपयोग करते हैं। साथ ही साथ इन अनिमेशनों को जरूरत के अनुसार बदला भी जा सकता है। डॉ. ललित गोयल ने बताया कि अगर ऐसा अनाउंसमेंट सिस्टम बन जाता है जो डेफ (बधिर) लोगों के लिए उनकी अपनी मातृ भाषा (भारतीय सांकेतिक भाषा) में घोषणाएं कर सके तो यह दुनिया का पहला ऐसा अनाउंसमेंट सिस्टम होगा और पहला मेक इन इंडिया सॉफ्टवेयर होगा।डॉ. ललित गोयल और डॉ. विशाल गोयल के साथ, उनके एक रिसर्च स्कॉलर राकेश कुमार ने रेलवे स्टेशनों पर होने वाली घोषणाओं में प्रयुक्त होने वाले शब्दों की एनिमेशन का निर्माण करने वाले कोड के विकास में सहायता की। शोध के क्षेत्र में भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, डॉ. गोयल ने कहा कि रिसर्च का काम बंद नहीं हुआ है। वह अंग्रेजी से भारतीय मूक भाषा में अनुवाद का काम कर चुके हैं और अभी वह इस विकसित अनुवाद प्रणाली की सटीकता में सुधार करने जा रहे हैं। इसके इलावा हिंदी से भारतीय मूक भाषा में अनुवाद, पंजाबी से भारतीय मूक भाषा में अनुवाद है का काम चल रहा है। रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर होने वाली घोषणाओं का सॉफ्टवेयर बना रहे हैं जो घोषणाओं को डेफ लोगों की अपनी मातृ भाषा (भारतीय सांकेतिक भाषा) में बदलकर दिखाएगा। डीएवी कॉलेज, जालंधर के प्रिंसिपल डॉ. एस.के. अरोड़ा ने तीनों शोधकर्ताओं को उनकी अनूठी उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह सबसे अच्छी समाज सेवा है।
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