जालंधर: दिल्ली द्वार पर किसान आंदोलन जैसे दृश्य अब पंजाब में व्यापारियों द्वारा भी बनाने की तैयारी हो रही है। प्राइवेट फसलों को ऑनलाइन बेचने और नरमे-कपास की फसल पर आढ़त की राशि कम करने के विरोध में आढ़त से जुड़े करीब 10 लाख परिवार सड़कों पर आकर आंदोलन करने की तैयारी में हैं।
सरकार को 4 सितम्बर तक दिए अल्टीमेटम के बाद 5 सितम्बर को 45,000 आढ़ती परिवार व उनसे जुड़े एक लाख मुनीम परिवार और 8 लाख मजदूर, तोले इत्यादि जिनकी संख्या करीब 10 लाख है, आंदोलन शुरू कर देंगे। आढ़तियों का दावा है कि करीब 15 लाख किसान परिवारों का भी उन्हें समर्थन प्राप्त है। इधर पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने व्यापारियों के शिष्टमंडल के साथ 2 सितम्बर को एक बैठक रखी है, जो आढ़तियों के आंदोलन की रूपरेखा तय करेगी।
व्यापारियों का एक मामला प्राइवेट फसलें, जैसे बासमती चावल की कुछ किस्में, मूंगी, मक्की इत्यादि जो एम.एस.पी. पर नहीं बिकती, को ऑनलाइन बेचने का है, जिसका विरोध आढ़ती कर रहे हैं। फैडरेशन ऑफ आढ़ती एसोसिएशन ऑफ पंजाब के अध्यक्ष विजय कालड़ा की रहनुमाई में एक शिष्टमंडल पंजाब के कृषि मंत्री को 2 दिन पहले उनके पैतृक गांव में मिला था और मंत्री को बताया था कि बासमती जैसी जिंस को ऑनलाइन बेचना सही नहीं है क्योंकि सरकार की शर्त अनुसार लैंड मैपिंग में लगते कम से कम 2 दिन के समय में बासमती अपना रंग बदल लेगी जिसका नुक्सान किसानों और आढ़तियों को होगा।
दूसरा मामला नरमा-कपास की फसल पर सरकार द्वारा कॉटन फैक्टरियों के आधार पर आढ़त की राशि अढ़ाई फीसदी से कम करके एक फीसदी करने का था। विजय कालड़ा ने दावा किया कि सरकार ने जिन कॉटन फैक्टरियों के आधार पर नरमा-कपास की आढ़त कम करने का निर्णय लिया है, वही कॉटन फैक्टरियों वाले ट्वीट करके दावा कर रहे हैं कि उन्होंने मंत्री से ऐसी कोई मांग नहीं की थी। कॉटन फैक्टरियों का दावा है कि उनका आढ़तियों से 100 साल का संबंध है और आगे भी रहेगा।