जालंधर: प्रेमचंद मारकंडा एस. ड्डी. कॉलेज फॉर वूमेन, जालंधर एंव भारतीय शिक्षण मंडल के सौजन्य द्वारा त्रिदिवसीय (२५ से २७ मई) ऑनलाइन अंतराष्ट्रीय स मेलन का आयोजन अत्यंत सफलतापूर्वक स पन्न किया गया । इस स मेलन का विषय था ओवरलैपिंग ऑफ़ आर्यावर्त एंड रामायण परिक्रमा अक्रॉस साउथ एशिया : इन इंटरप्रेटेटिवे ए1सरसाइजेज ऑफ़ बोथ सर्किल अक्रॉस टाइम एंड स्पेसरामायण प्रत्येक युग में लिखी जाती रही है यधपि उसकी भाषा व् प्रारूप में अपने स्थान व् मान्यताओं के अनुसार उसमें परिवर्तन व् परिवर्धन होते रहे हैं इसकी प्रासंगिकता आज भी इतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी की पुरातनकाल में । रामायण का अध्यन्न व् पाठ उस पर किया चिंतन हमारी भौतिक, आध्यात्मिक, दैविक, राजनैतिक, आर्थिक व् मानसिक समस्याओं को सुलझाने में सक्षम है। इस स मेलन का मु2य उद्देश्य राष्ट्रिय (नवीन) शिक्षा प्रणाली से अपनी पुरातन संस्कृति एंव पर परा को जोडऩा है।स मेलन का आर भ सरस्वती वंदना, मंत्र, भारतीय शिक्षण मंडल गीत द्वारा किया गया जिसकी प्रस्तुति कॉलेज की छात्राओं द्वारा की गई थी । इसके पश्चात कॉलेज के प्राचार्य डॉ. किरण अरोड़ा, आयोजन सचिव, डॉ. जय सिंह (भारतीय और विश्व साहित्य विभाग, अंग्रेजी और विदेशी भाषा यूनिवर्सिटी, हैदराबाद) ने स मेलन से जुड़े सभी वक्ताओं का अभिनन्दन किया। तृतीय दिवस के सत्र के अध्यक्ष श्री अविनाष राय खन्ना जी थे। इस सत्र के वक्त श्री जे. पी. पचौरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आजकल के अत्यंत भयावह समय में रामायण का अध्ययन हमें मानसिक तनाव में मुक्ति दिला सकता है । विपरीत परिस्तिथियों में हम कैसे अपने संसाधनों को सीमित कर सकते हैं । इस सत्र के द्वितीय वक्त प्रोफ भूषण पटवर्धन (राष्ट्रिय अनुसंधान प्रोफेसर, आयुष) ने कहा कि भारतीय अब आयुर्वेद की और अग्रसर हो रहा है आयुर्वेद व् योग ही मनुष्य को स्वस्थ रख सकता है। रामायण में अनेक औषधियों व् वृक्षों तथा वनस्पतियों का वर्णन मिलता है। डॉ. रजनीश अरोड़ा जी (प्रान्त सह संभ संचालक), पूर्व कुलपति, पंजाब टेक्निकल विश्वविद्यालय) ने अपने वक्तव्य में कहा कि रामायण का स बन्ध पंजाब से है तथा उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिभागी रामायण को अपने जीवन में उतरने में सफल होते हैं तो स मेलन आवश्य ही अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहेगा । अविनाश राय खन्ना ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि रामायण में वर्णित विभिन्न विषयों को यदि पृथक-2 पुस्तकों में वर्णित कर दिया जाए तो अत्यंत लाभदायक रहेगा । रामायण के प्रत्येक श्लोक में हमारे जीवन का समस्याओं का समाधान मिलता है। अत: इस विषय पर स मेलन को करवा कर वह बधाई के पात्र हैं। आज हम प्राण करें कि हम अपने आप को पहचाने।परम पूज्य श्री शंकरानंद जी ने अपने व्या2यान में कहा कि भारत को इस विश्व में सुपर पावर बनने की आवश्यकता नहीं है। हम हथियारों की दौड़ में अग्गे नहीं निकलना चाहते। रामायण के ज्ञान के द्वारा लोगों में श्री राम के गुणों को लाकर ही भारत विश्व गुरु बन सकता है 1यों कि भारत विश्व गुरु बनना चाहता है ना की सुपर पावर । स्वामी शंकरानंद जी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जीवन का सच्चा सुख केवल देने में ही है, हमें हमेशा देने और केवल देने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने ऐसी विषय पर तीन दिवसीय कांफ्रेंस करने पर कॉलेज और प्राचार्य डॉ. किरण अरोड़ा को भी बधाई दी।इस स मेलन के स मपन समारोह का शुभार भ डॉ. जय सिंह (आयोजन सचिव, भारीतय और विश्व साहित्य विभाग, अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्विद्यालय) हैदराबाद ने किया। आर भ में सरस्वती वंदना व् भारीतय शिक्षण मंडल गीत से किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. किरण अरोड़ा ने सभी अतिथियों व् वक्ताओं का धन्यवाद किया तथा कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की। नितेश (विस्तारक, भारीतय शिक्षण मंडल , पंजाब) ने इस स मेलन के कार्यक्रमों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह स मेलन अपने उद्देश्य की पूर्ति करने में सफल रहा है। इस स मेलन में भूटान, नेपाल व् भारत के विभिन्न हिस्सों के अनेक शोधकर्ताओं ने भाग लिया ।लगभग ४८० प्रतिभागियों ने इस स मेलन में ऑनलाइन मीटिंग के ज़रिया भाग लिया। फेसबुक और यूट्यूब पर लगभग २००० प्रतिभागी इससे जुड़े।
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