नई दिल्ली : महाराष्ट्र में भले ही शिवसेना-भाजपा में गठबंधन हो लेकिन चुनाव परिणाम आने और बहुमत का आंकड़ा हासिल करने के बाद भी राज्य में अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है। दोनों सहयोगी दलों के बीच सरकार गठन के फॉर्म्यूले को लेकर सहमति ही नहीं बन पा रही है।
शिवसेना सरकार में 50-50 का फॉर्म्यूला लागू करने की मांग कर रहा है। इस संबंध में पार्टी भाजपा से लिखित रूप में आश्वासन की मांग कर चुकी है। जबकि राज्य के मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस का कहना है गठबंधन में इस तरह के किसी फॉर्म्यूले पर बात ही नहीं हुई है। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) देखो और इंतजार करों की मुद्रा में हैं।
इन सब के बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कांग्रेस-एनसीपी से गठजोड़ के संकेत दिए है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा का शिवसेना से दशकों पुराना गठबंधन टूट सकता है। शिवसेना का कहना है कि महाराष्ट्र के हित में सरकार गठन के लिए कांग्रेस और शिवसेना से हाथ मिलाया जा सकता है।
रोकटोक कॉलम में लिखा गया है सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के बाद भाजपा जब सदन में विश्वास मत हासिल करने में असफल हो जाएगी तब दूसरा बड़ा दल होने के नाते शिवसेना सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।
एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 तथा अन्य की मदद से बहुमत का आंकड़ा 160 तक पहुंच जाएगा। शिवसेना अपना खुद का मुख्यमंत्री बना सकेगी। इसके बाद उसे सरकार चलाने के लिए साहस करना पड़ेगा। इसके लिए तीन स्वतंत्र विचारधारा वाली पार्टियों को सामंजस्य से योजना बनाकर आगे बढ़ना होगा। कॉलम में आगे लिखा गया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने जिस तरह से दिल्ली में सरकार चलाई थी उसी तरह सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा। इसी में महाराष्ट्र का हित है।
हालांकि पार्टी ने आगे भाजपा और शिवसेना को साथ मिलकर सरकार बनाने की भी बात कही है। लेकिन इसके लिए दोनों को चार कदम पीछे लेने होंगे। इसमें मुख्यमंत्री पद का विभाजन करने की बात का जिक्र करते हुए भाजपा के अहंकार का हवाला देते हुए ऐसा होने की संभावना को खारिज भी कर दिया गया है।