नई दिल्ली : कोलकाता की जाधवपुर यूनिवर्सिटी से ‘उत्कृष्ट संस्थान’ का दर्जा छिन सकता है। इसके पीछे पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से योजना के अंतर्गत 2000 करोड़ रुपये देने में असमर्थता को वजह बताया जा रहा है। जाधवपुर यूनिवर्सिटी से यह दर्जा छिनने के बाद यह प्रतीक्षा सूची में शामिल अगले संस्थान को मिल सकता है।

प्रतीक्षा सूची में सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे शिक्षण संस्थान हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस संबंध में अगला कदम क्या होगा इस पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ही फैसला करेगा।

इससे पहले शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने कहा कि जाधवपुर यूनिवर्सिटी की वैश्विक शाख है और यह ‘उत्कृष्ट संस्थान’ का दर्जा बरकरार रखने के काबिल है। पिछले महीने मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पांच सार्वजनिक वित्त प्राप्त करने वाले संस्थानों आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर, दिल्ली यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद को ‘उत्कृष्ट संस्थान’ का दर्जा दिया था।

इन संस्थानों को अपने विस्तार के लिए 1000 करोड़ रुपये तक की राशि दी जाएगी। इंडियन एक्सप्रेस ने 11 अगस्त को खबर दी थी कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की सरकार को पत्र लिख कर क्रमशः 2000 करोड़ और 1750 करोड़ रुपये दिए जाने की बात कही थी।

मंत्रालय की तरफ से पत्र में लिखा गया था कि यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी प्रस्ताव के अनुसार उत्कृष्ट संस्थान के उद्देश्यों के पूरा करने के लिए करीब 3000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें 50 से 75 फीसदी रकम या 1000 करोड़, जो भी राशि कम हो, केंद्र सरकार की तरफ से पांच साल की अवधि में उपलब्ध कराई जाएगी। बाकि का खर्च राज्य सरकार या यूनिवर्सिटी को खुद वहन करना होगा।

इस विषय पर इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में शुक्रवार को जाधवपुर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सुरंजन दास ने बताया कि आवेदन के समय हम नहीं जानते थे कि उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा हासिल करने के लिए इस तरह की कोई पूर्व शर्त है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है कि वह एक संस्थान के लिए इतनी रकम दे सके।

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