लुधियाना के साहनेवाल रैली में संबोधित करते सुखबीर बादल। - Dainik Bhaskar

 

जालंधर: पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) के प्रधान सुखबीर बादल विवाद में घिर गए हैं। सुखबीर ने लुधियाना के साहनेवाल में रैली में कहा कि हम अमन-शांति व भाईचारा चाहते हैं लड़ाई नहीं। अगर मैं एक इशारा कर दूं तो यह ढूंढने पर भी नहीं मिलेंगे, लेकिन नहीं हम शांति चाहते हैं। सुखबीर का यह बयान निशाने पर तब आया, जब पंजाब कांग्रेस ने इसे सोशल मीडिया पर प्रचारित करना शुरू कर दिया।इसके साथ ही सुखबीर का एक और बयान चर्चा में है। इसमें मीडिया से बातचीत में सुखबीर कह रहे हैं कि किसान यूनियन वाले किसान ही नहीं हैं, बल्कि वे तो नक्सली हैं। कांग्रेस ने सुखबीर के दोनों बयान सोशल मीडिया के जरिए वायरल किए तो किसानों तक पहुंच गए। असल में यह विवाद तब शुरू हुआ, जब मोगा में सुखबीर की रैली के दौरान किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद किसान संगठनों ने चुनाव की घोषणा से पहले ही रैलियां करने को लेकर सवाल खड़े कर दिए।अकाली प्रधान सुखबीर बादल ने कहा कि कांग्रेस ने वीडियो से छेड़छाड़ करके इन्हें जारी किया है। वह किसान आंदोलन के साथ हैं। उन्होंने केंद्र सरकार में मंत्री पद छोड़ा। भाजपा की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन छोड़ा। कांग्रेस उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसे गलत वीडियो पेश कर रही है। उनकी चेतावनी अकाली दल के कार्यक्रम खराब कर रहे विरोधी नेताओं के लिए थी।

सुखबीर बादल का वीडियो सामने आने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा भड़क उठा। सिंघु बॉर्डर पर बैठक के बाद किसान संगठनों ने सुखबीर बादल को अपनी जुबान पर कंट्रोल करने को कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर संयुक्त किसान मोर्चा ने कोई ऐलान कर दिया तो सुखबीर पंजाब में खड़े तक नहीं हो सकेंगे।उन्होंने कहा कि अगर सुखबीर इतने किसान हितैषी हैं तो उन्हें तुरंत अपनी रैलियां रद्द करनी चाहिएं। किसानों के विरोध के बाद ही वे सही रास्ते पर आए हैं। किसान नेता मनजीत राय ने कहा कि किसानों के साथ सुखबीर की मोगा रैली के दौरान अकाली दल के छात्र संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (SOI) ने किसानों के साथ बदसलूकी की। कहीं सुखबीर भाजपा के इशारे पर तो नहीं चल रहे।पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर सुखबीर 100 दिन के प्रदेश दौरे पर हैं। संयुक्त किसान मोर्चा से टकराव के बाद अब सुखबीर ने 5 दिन के लिए सभी कार्यक्रम टाल दिए हैं। सुखबीर ने कहा कि इन 5 दिनों में किसान नेता जहां चाहें, उन्हें बुलाकर सवाल कर सकते हैं। उनकी पूरी लीडरशिप आने को तैयार है। उसके बाद वे फिर से कार्यक्रम शुरू करेंगे।

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