जालंधर: सरकार के नादिरशाही फरमान के खिलाफ रेकोग्नाइजड स्कूल एसोसिएशन ने आवाज बुलंद की है। नित्य नए फरमानों से निजी स्कूलों की जान सांसत में डाल दी है। आन लाइन पढ़ाने वाले निजी स्कूलों ने अपने अध्यापकों को विद्यार्थियों को पढ़ाने के एवज में वेतन अदा किया है। अब निजी स्कूलों के खाते खाली हो गए। वही पांचवीं, आठवीं व दसवीं के पास सर्टिफिकेट सीधे विद्यार्थी के डिजीलॉकर में देने के सरकारी आदेश से निजी स्कूलों की वित्तीय हालत बिगड़ गए है। उन्हें अपने पूरे साल की फीस न मिलने की चिंता होने लगी है।वही निजी स्कूलों में विद्यार्थियों की स्ट्रेंथ भी कम होने लगी है। निजी स्कूल के विद्यार्थी फीस न देने के चलते सरकारी स्कूलों में बिना एसएलसी के दाखिल हो रहे है।सरकार के नादिरशाही फरमान के खिलाफ रासा ने मोर्चा खोल दिया है। रासा पंजाब के महासचिव सुजीत शर्मा बबलू व जिला प्रधान कमलजोत कोहली ने पत्रकार सम्मेलन में स्कूल शिक्षा विभाग को चेतावनी दी है कि सरकार ने निजी स्कूलों के अस्तित्व को मिटाने वाले फरमान वापस न लिए तो निजी स्कूल पंजाब सरकार के खिलाफ सख्त एक्शन लेंगे।सुजीत शर्मा ने बताया कि एसएलसी के बिना स्कूलों में दाखिल करना गलत है। यह पूरी तरह असंवैधानिक है। पेरेंट्स एग्जामिनेशन फीस निजी स्कूलों से मांग रहे है। जबकि एग्जामिनेशन फीस पीएसईबी को अदा कर दी गयी है। पेरेंट्स अब अपनी फीस लेने के लिए बोर्ड के चेयरमैन से संपर्क करें।उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रत्येक राज्य में चुनाव करवाए जा रहे है। लाखों की भीड़ चुनावी सभा और बूथों पर एकत्रित हो रही है। उन लोगों को कोरोना का भय नहीं है। वही पांचवीं, आठवीं व दसवीं की परीक्षाएं न करवाने का फैसला उनकी समझ से परे है।सरकार को विद्यार्थियों को फिजिकल दूरी, मास्क व सेनीटाइजर के साथ परीक्षा केंद्र में बैठने की परमिशन देनी चाहिए थी।इस मौके पर अजंता पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल मयंक कपूर, दशमेश सीसे स्कूल मेहता गांव के प्रिंसिपल हर्षदीप सिंह रंधावा मौजूद थे।

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