दिल्ली एम्स और सफदरजंग अस्पताल में फर्जी डॉक्टर पकड़े जाने के कई मामले सामने आने के बाद अब यही फर्जी डॉक्टर सरकारी अस्पतालों के झूठे कागजात बनाकर बैंकों से लाखों रुपये का लोन भी ले रहे हैं।
शुरुआत में एक-दो किस्त जमा करने के बाद जब बैंक को आगे की रकम नहीं मिलती है तो टीम संबंधित अस्पताल में जाकर डॉक्टर साहब की तलाश करती है, लेकिन वहां न कोई डॉक्टर मिलता है और न ही कोई उसकी पहचान। उसके पहचान पत्र से लेकर तमाम दस्तावेज भी फर्जी पाए जाते हैं।
ऐसा ही एक मामला केंद्र सरकार के नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में सामने आया है। यहां के कागजात पर एक फर्जी डॉक्टर ने 10 लाख रुपये का बैंक लोन भी ले लिया। जब लोन की किस्तें मिलनी बंद हुई तो बैंक से आई टीम ने अस्पताल प्रबंधन से संपर्क किया। पूछताछ और कागजात की जांच के बाद प्रबंधन के भी होश उड़ गए।
उक्त नाम का सीनियर रेजीडेंट अस्पताल के किसी भी विभाग में कार्यरत नहीं है। प्रबंधन की ओर से दोबारा विभागीय स्तर पर जांच की गई, लेकिन सभी विभागों से एक ही जवाब आया कि उक्त सीनियर रेजीडेंट उनकी यूनिट में नहीं है।
यह मामला कुछ ही समय में पूरे अस्पताल की सुर्खियों में आ गया। तमाम डॉक्टर भी घटना की जानकारी मिलने पर काफी आश्चर्यचकित हैं कि आखिर किस हद तक गोरखधंधा चल रहा है।
ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर सरकारी अस्पतालों के कागज, सील-मुहर का इस्तेमाल कैसे इस धंधे के लिए किया जा सकता है?
हालांकि इस मामले में भी अस्पताल प्रबंधन स्पष्ट जानकारी देने को तैयार नहीं है। जबकि सूत्रों का कहना है कि बैंक ने उक्त फर्जी सीनियर डॉक्टर की पहचान से जुड़े सभी कागज प्रबंधन को भी सौंपे हैं।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके तिवारी का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। जबकि प्रबंधन के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि मामले को लेकर फिलहाल जांच चल रही है। जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम भी उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं देखने को न मिलें।