फगवाड़ा 16 जून (शिव कौड़ा) सिविल अस्पताल कपूरथला के कंटीन संचालक ने एक डाक्टर सहित स्टाफ के तीन सदस्यों पर करीब ग्यारह महीने से कैंटीन को जबरन ताला लगा कर रखने के अलावा सवा लाख रुपए के बकाया बिल की अदायगी न करने और धमकाने का आरोप लगाते हुए पंजाब हैल्थ सिस्टम कार्पोरेशन के निदेशक को पत्र लिख कर न्याय की गुहार लगाई है। आज यहां वार्तालाप में पीडि़त कैंटीन संचालक अशोक कुमार शर्मा पुत्र नन्द लाल शर्मा वासी मकान नंबर 126, पूजनां मोहल्ला, मोती बाजार फगवाड़ा ने बताया कि उसकी उम्र करीब 67 वर्ष है और नजर भी ठीक से काम नहीं करती। उसने साल 2016 में सिविल अस्पताल कपूरथला की कैंटीन का ठेका अपने बेटे इशांत शर्मा के नाम करीब चार लाख रुपए में लिया था। इसके अलावा उसके पास अस्पताल के साइकिल स्टैंड का ठेका भी था। जब उसने कैंटीन का काम शुरु कर लिया तो अस्पताल की तत्कालीन हैड क्लर्क संतोष कुमारी जो अब सिविल अस्पताल जालंधर से बतौर निरीक्षक सेवानिवृत हो चुकी है उसने अस्पातल के क्वार्टर में स्थित अपनी रिहायश पर बुला कर कहा कि बेशक कैंटीन आपने ले ली है परन्तु अब तक अस्पताल में उसकी तरफ से डाइट जाती रही है और आगे से एक महीना आपकी डाइट चलेगी और एक महीना मेरी। इस दौरान संतोष कुमारी ने एस.एम.ओ. के नाम पर पाँच हजार रुपए ‘महीना’ की माँग भी रखी और दो टूक कहा कि मंजूर हो तो बताओ वरना कंटीन छोड़ दो। मजबूरी वश को अन्य चारा न देख वे तीन साल तक एक महीना कैंटीन से डाइट देते रहे जबकि एक महीना संतोष कुमारी अपने क्वाटर से डाइट तैयार करके सर्व करती रही। अशोक कुमार शर्मा के अनुसार साल 2019 में उसने दोबारा कैंटीन का ठेका करीब 12 लाख रुपए में लिया। क्योंकि तब संतोष कुमारी की बतौर सुपरिडैंट जालंधर बदली हो चुकी थी और तत्कालीन एस.एम.ओ. रीटा बाला ने स्पष्ट कर दिया था कि डाइट सिर्फ कैंटीन की चलेगी। 23 मार्च 2020 को जब पूरे देश में कोरोना लाकडाउन कफ्र्यू लगा तो अस्पताल प्रबंधन ने केवल आपात्तकालीन डाइट जारी रखने की बात कही जिसे उसने मान लिया। 21 जुलाई 2020 को वह उस समय के एस.एम.ओ. डा. तारा सिंह से मिला और लाकडाउन में ठेके का रेट कम करने की गुजारिश की। 22 जुलाई 2020 को अस्पताल के डा. संदीप धवन ने फोन करके अपने कमरे में बुलाया जहां फार्मासिस्ट बीर दविन्द्र सिंगला भी आ गया। उक्त दोनों ने कहा कि साइकिल स्टैंड के ठेके की बकाया रकम जमा करवाओ। हालांकि कोई बकाया नहीं था फिर भी उसने हिसाब बना कर देने की बात कही और साथ ही कैंटीन की भेजी गई डाइट के करीब 1.26 लाख रुपए के बिल पास करवाने का निवेदन किया। तो फार्मासिस्ट सिंगला और डा. धवन ने बिल पास करने से स्पष्ट इंकार कर दिया। साथ ही फरमान सुनाा कि कैंटीन का साल पूरा हो गया है और अब हम आगे कैंटीन का ठेका नहीं चलने देंगे। अशोक कुमार शर्मा के अनुसार जब उसने एस.एम.ओ. से बात होने बारे कहा तो सिंगला व डा. धवन ने एस.एम.ओ. के बारे भी गलत बोला तथा धौंस जमाई कि फैसला पांच मैंबरी कमेटी ने करना है। जबकि उस समय डा. धवन और फार्मासिस्ट सिंगला के अलावा वहां कोई तीसरा कमेटी मैंबर नहीं था। फिर 23 जुलाई 2020 को अस्पताल के क्लर्क संदीप कुमार और रजनीश कुमार ने कैंटीन को ताला लगा दिया जबकि उसका सारा कीमती समान भी कैंटीन के अंदर था जो ग्यारह महीने बाद भी वहीं है। इस बारे सिविल सर्जन और डिप्टी कमिशनर कपूरथला को रजिस्टर्ड पत्रों से शिकायत भेजी लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। पीडि़त शर्मा ने बताया कि अब फार्मासिस्ट बीर दविन्द्र सिंगला और डा. संदीप धवन धमकी देते हैं कि तुम्हारा ठेका यहां नहीं चलने देंगे और न ही कोई बकाया बिल पास होने देंगे। यह सब संतोष कुमारी के इशारे पर हुआ है क्योंकि ये लोग आपस में मिले हुए हैं और संतोष कुमारी के द्वारा ही अस्पताल की डाइट जारी रखना चाहते हैं। पीडि़त ने शिकायत की कापियां स्वास्थ्य मंत्री पंजाब सहित अन्य संबंधित विभागों को भी भेजी हैं जिसमें न्याय की गुहार लगाते हुए कहा है कि उसकी पत्नी हृदय रोगी है जिसकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है। उसका पुत्र भी कोरोना काल में बेरोजगार है और उसके पास भी आमदन का दूसरा कोई जरिया नहीं है। अत: उसकी कैंटीन के ताले खुलवाये जाएं। बकाया बिल की अदायगी करवाई जाए और आरोपियों की जांच करवा कर कड़ी कार्रवाई की जाए।
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