भारत की विरासत एवं ऑटोनॉमस संस्था, कन्या महा विद्यालय, जालंधर के पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ़ पंजाबी के द्वारा मैं और मेरी रचना विषय पर एक एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन करवाया गया. इस प्रोग्राम के अंतर्गत प्रसिद्ध पंजाबी साहित्यकार डॉ. वरयाम सिंह संधू छात्राओं के रूबरू हुए. छात्राओं से संबोधित होते हुए जहां उन्होंने अपने जीवन के निजी अनुभव को सांझा किया वहीं साथ ही साहित्य लेखन में अपनी रुचि के बारे में बताते हुए छात्राओं को साहित्य से जीवन में सीख लेने के लिए भी प्रेरित किया. आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्यकार की किसी भी रचना का विषय समाज के विभिन्न पहलुओं पर ही आधारित होता है जिसे वह अपनी कल्पना शक्ति के साथ शब्दों के रूप में प्रस्तुत कर पाठकों की सोच पर छाप छोड़ता है. किसी भी साहित्यकार के द्वारा रची गई रचना तब ही सफल मानी जा सकती है जब वह पाठकों के जीवन पथ को सहज बनाने में सक्षम हो. इसके साथ ही उन्होंने अंत में छात्राओं के द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब भी बेहद सरल ढंग से देते हुए उभर रहे साहित्यकारों को साहित्य की विभिन्न अवधारणा एवं अच्छे साहित्य की विस्तार से जानकारी हासिल करने की भी सलाह दी. विद्यालय प्रिंसिपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने छात्राओं को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए श्री वरयाम सिंह संधू के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मानवीय जीवन में साहित्य के सकारात्मक प्रभाव के बारे में बात की और बताया कि कन्या महा विद्यालय में समय-समय पर विभिन्न ऐसे आयोजन करवाए जाते रहते हैं जिनसे छात्राओं में साहित्य के प्रति लगन को पैदा किया जा सके. इसके साथ ही इस सफल आयोजन के लिए उन्होंने पंजाबी विभाग अध्यक्ष डॉ. हरप्रीत कौर एवं स्मूह स्टाफ सदस्यों के द्वारा किए गए प्रयत्नों की प्रशंसा की.

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