दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल आश्रम में लोहड़ी का पर्व मनाया गया। मंच सञ्चालन में स्वामी परमानन्द जी ने सर्वप्रथम आई हुई संगत को लोहड़ी के पर्व की शुभकामनाएं दी। इसके उपरांत लोहड़ी पर्व का प्रसिद्ध गीत सुंदर-मुंदरिये को प्रवर्तित कर गुरु साधक का ऐसा आध्यात्मिक माहौल रचा, जिसे श्रवण कर पूरा पंडाल भाव विभोर हो गया। इसके उपरांत साध्वी मातंगी भारती जी ने बताया कि लोहड़ी वाले दिन प्रत्येक इंसान अग्नि में तिलों को डाल कर यही संकल्प लेता है कि ‘ईसर आ दलिदर जा’ अर्थात वो अपने आलस्य को ख़त्म कर के ईश्वर को प्राथमिकता देता है। साध्वी जी ने बताया कि संकल्प लेना अच्छी आदत है। किन्तु कई बार इंसान इतना बड़ा संकल्प ले लेता है, जिसे पूरा कर पाने में वो अपने आप को असमर्थ पाता है और बाद में इसी कारण वो डिप्रेशन में भी चला जाता है। उन्होंने समझाया कि हमें बड़े संकल्प लेने से पूर्व अपने जीवन में छोटे छोटे संकलपों को पूरा करना चाहिए ता कि बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमारे भीतर आत्मशक्ति जागृत हो सके। इस से सम्बंधित 2003 में एक साइकिलिंग के ट्रेनिंग वालों की उदाहरण दी, जिसमें उनका कोच उनके मिशन साइकिलिंग से अतिरिक्त उन्हें जीवन के अन्य नियमों से भी प्रेरित करता था, जिसे अपनाकर उन्होंने विश्व रिकॉर्ड को प्राप्त किया। इसके उपरांत पंडित जी ने मंत्रों के उच्चारण सहित पवित्र अग्नि जलाकर उसकी पूजा की और बाद में सभी ने उसमें तिलों को डाल कर लोहड़ी पर्व का खूब आनंद लिया।
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