दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देशभर के वकीलों के लिए गर्मी के मौसम में ड्रेस कोड में ढील देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका पेश की गई थी, जिसमें सुझाव दिया गया था कि वकील गर्मी के कारण पारंपरिक गाउन पहनने में असुविधा महसूस कर रहे हैं। इस याचिका को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सुना।याचिका में वकीलों ने तर्क दिया कि गर्मी के मौसम में भारी गाउन पहनना कठिन होता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां तापमान अधिक होता है। इस संदर्भ में वकीलों ने अनुरोध किया था कि उन्हें गर्मी के मौसम में अधिक आरामदायक परिधान पहनने की अनुमति दी जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि पेशेवर शिष्टाचार बनाए रखना आवश्यक है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक राज्य की जलवायु भिन्न होती है, और इस मुद्दे पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि राजस्थान जैसी गर्मी की स्थितियां बेंगलूरु में नहीं होतीं। इस बात का संकेत देते हुए, अदालत ने कहा कि अलग-अलग स्थानों पर जलवायु के अनुसार वकीलों को पेशेवर रूप से व्यवहार करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल को सुझाव दिया है कि वह इस मुद्दे पर विचार करें और मौसम के अनुसार ड्रेस कोड में आवश्यक बदलावों पर चर्चा करें। यह संकेत देता है कि अदालत विचारों और सुझावों के प्रति खुली है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि अदालतों में पेशेवरता का स्तर बनाए रखा जाए। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल वकीलों के लिए बल्कि समग्र कानूनी प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि कानून की अदालतों में पेशेवरता और शिष्टाचार की आवश्यकता को कभी कम नहीं आंका जा सकता। अगली बार जब वकील अदालत में उपस्थित हों, तो उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उनकी वेशभूषा न केवल उनके व्यक्तिगत पहचान को दर्शाती है, बल्कि यह अदालत की गरिमा और गंभीरता का भी संकेत है।

 

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