जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में सप्ताहिक सामुहिक निःशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान श्री कंठ जज से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ में उपस्थित प्रभु भक्तों को प्रवचनों का रसपान करवाते हुए कहा कि अरदास (प्रार्थना) का मतलब ही होता है परम की कामना। परम की कामना के लिए क्षुद्र और तुच्छ कामनाओं का परित्याग करना पड़ता है। परम की मांग या चाह ही प्रार्थना है। अल्प की यानी सांसारिक पदों या प्रतिष्ठा की मांग वासना है। धन, यश व पुत्र, इन तीनों की मूल कामना का नाम ऐषणा है। इसे ही ऋषियों ने वित्तैषणा, लोकैषणा और पुत्रैषणा कहा है। जब तक अल्पकाल तक सुख देने वाली ऐषणाओं का अंत नहीं हो जाता, तब तक परम प्रार्थना का आरंभ नही हो सकता।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि अरदास (प्रार्थना) तब तक अधूरी है जब तक पुरुषार्थहीनता है। दुगरुणों को दूर करने के लिए दाता बनो। दाता बनने से देव बनोगे। देव का अर्थ है देवता। देवता देने वाले को कहा जाता है। यानी जो दान करता है, वह देव या देवता है। तुम्हारे पास जैसा भी है, जितना है, उसे प्रसन्नता से बांटने वाले बनो। बांटने वाला कभी दुखी नहीं होता और लूटने वाला कभी प्रसन्न नहीं रह सकता। छीनने वाला और छल-कपट में जीने वाला कभी सुखी व प्रसन्नचित्त नहीं हो सकता।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि प्रभु से अरदास (प्रार्थना) करने के समय हाथ मत फैलाओ। हाथ फैलाने के बजाय अपने हृदय को फैलाओ। अरदास (प्रार्थना) तभी पूर्ण होगी। अरदास (प्रार्थना) में जब सांसारिक वासना का अभाव होगा, तभी वह सच्ची अरदास (प्रार्थना) होगी। इसलिए अरदास (प्रार्थना)शब्दों की रचना मात्र नहीं है, बल्कि हृदय से उठी, जीवनधारा से जुड़ी एक पवित्र पुकार है। अरदास (प्रार्थना) अगर हृदय से की जाए, तो परमात्मा उस पुकार को जरूर सुनता है। यही कारण है कि दुनिया के सभी संतों ने अरदास (प्रार्थना) को अत्यंत महत्व दिया है।
नवजीत भारद्वाज जी ने प्रवचनों को विराम लगाते हुए अंत में कहा कि अरदास (प्रार्थना) का एक वैज्ञानिक व मनोवैज्ञानिक पहलू भी है। ईश्वर को सर्वशक्तिवान मानकर जब हम उसकी अरदास (प्रार्थना) करते हैं, तब हमारे मन से अहंकार दूर होने लगता है। इस प्रकार अरदास (प्रार्थना) से हमारे अंतर्मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस कारण हम जीवंतता के साथ जीवन जीते हैं।

इस अवसर पर श्री कंठ जज, श्वेता भारद्वाज, निर्मल शर्मा, राकेश प्रभाकर,पूनम प्रभाकर ,सरोज बाला, समीर कपूर, विक्की अग्रवाल, अमरेंद्र कुमार शर्मा, सौरभ अरोड़ा , रोहित भाटिया,नरेश,कोमल,वेद प्रकाश, मुनीष मैहरा, जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया,रिंकू सैनी,बावा खन्ना, धर्मपालसिंह, अमरजीत सिंह, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह, विनोद खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत,मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,दानिश, रितु, कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,शंकर, संदीप,रिंकू,प्रदीप वर्मा, गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, संजीव शर्मा, रोहित भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, कमल नैयर, अजय,बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।

हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।