जालंधर: पंजाब सरकार द्वारा नगर निगम कमिश्नरों को ट्रांसपेरेंसी एक्ट के तहत आपात स्थिति में दिए गए 5 लाख रुपए तक के काम बिना टैंडर और सिर्फ सैंक्शन कोटेशन के आधार पर करवाने का अधिकार जालंधर नगर निगम में भारी घोटाले का कारण बन गया है। पिछले दो-अढ़ाई वर्षों में इस एक्ट का खुला दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपए के काम सिर्फ 8-10 चहेते ठेकेदारों के माध्यम से करवाए गए।ट्रांसपेरैंसी एक्ट के अनुसार केवल एमरजैंसी नेचर के काम ही इस प्रावधान के तहत किए जा सकते थे लेकिन जालंधर में कई गैर-जरूरी और चुने हुए काम भी इसी श्रेणी में डालकर लाखों के सैंक्शन जारी कर दिए गए। नियमों के मुताबिक अधिकारियों को बाजार से कोटेशन एकत्र कर सबसे कम रेट वाले ठेकेदार को काम देना था, मगर निगम के किसी भी अधिकारी ने मार्केट जाना मुनासिब नहीं समझा।जालंधर नगर निगम में सबसे बड़ा घोटाला स्पाइरल और डेकोरेटिव लाइट्स लगाने के कामों में सामने आ रहा है। 5-5 लाख रुपए के कई एस्टीमेट ब्रांडेड स्पाइरल लाइट के बनाए गए, बिल भी नामी कम्पनियों के लगे लेकिन फील्ड में जाकर सस्ती चीनी लाइटें लगा दी गईं। आज हालात यह हैं कि करोड़ों की लागत से लगाई गई स्पाइरल लाइटें शहर के पोलों से गायब हैं और उनकी जांच तक संभव नहीं।