हंसराज महिला महाविद्यालय ने पंजाब राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के समर्थन से प्रकृति के लिए कौशल निर्माण विषयक दूसरा क्लस्टर स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स कार्यशाला का आयोजन 11 से 14 अगस्त तक किया जा रहा है। इस कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत किया गया जिसमें बरनाला, फतेहगढ़ साहिब, मानसा, मलेरकोटला, मुक्तसर साहिब, रूपनगर, पटियाला, संगरूर और एसएएस नगर से मास्टर ट्रेनर्स शामिल हुए। कार्यशाला के पहले दिन का शुभारंभ ध्वजारोहण , पौधारोपण और आशियाना में पक्षियों को भोजन देने से हुआ। आशियाना एचएमवी का एक विशेष स्थान है जहां पक्षियों के लिए पानी, भोजन और घोंसले की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसमें स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के संरक्षण का संदेश दिया गया। शिक्षक और अतिथियों ने अनाज रखकर और पानी के पात्र भरकर इस प्राकृतिक सह-अस्तित्व का प्रतीकात्मक समर्थन किया। प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन ने कहा कि एच.एम.वी. में हम मानते हैं कि प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव पर्यावरण के प्रति जिमेदार नगरिक बनाने में जरूरी है। पीएससीएसटी मंत्रालय से यह कार्यशाला शिक्षकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो भविष्य में जैव विविधता संरक्षण के लिए नेतृत्व करेंगे। पीएससीएसटी के संयुक्त निदेशक डॉ. के.एस. बाठ ने कहा कि परिषद पंजाब में एमओईएफसीसी के पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रमों को लागू करने वाली राज्य की प्रमुख संस्था है। डॉ. आशक हुसैन, एसोसिएट प्रोफेसर गर्वमेंट गांधी मेमोरियल साइंस कालेज जमू ने प्रकृति में अनुभवात्मक शिक्षा पर प्रकाश डाला। मुय वक्ता डॉ. बी.के. त्यागी पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक विज्ञान प्रसार भारत सरकार ने प्रकृति शिविरों में रचनात्मकता अपनाने के लिए प्रेरित किया। जमू से डॉ. जफर ने भी अपना अनुभव सांझा किया। पहले दिन के तकनीकी सत्रों की शुरूआत डॉ. बी.के. त्यागी द्वारा प्रकृति शिविरों का संचालन विषयक परिचयात्मक व्यायान से हुआ जिसके बाद पौधों की पहचान और चित्रण के व्यावहारिक सत्र फन विद प्लांटस आयोजित किया गया। दोपहर में बोटैनिकल गार्डन में पौधों की पहचान हेतु प्रदर्शन और प्रयोग सेटअप भी किए गए। इस कार्यशाला के ओवरआल कोआडिनेटर और सुश्री हरप्रीत कौर को-कोआर्डिनेटर द्वारा किया जा रहा है। डॉ. अंजना भाटिया ने कहा कि पक्षियों को खाना देना और आश्रय देना जीवन के प्रति गहरी संवेदना को दर्शाता है और यह पर्यावरणीय संरक्षण की भावना को हमारे प्रशिक्षकों में विकसित करने का प्रयास है। डॉ. सीमा मरवाहा ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि शिक्षकों को व्यावहारिक कौशल से सशक्त बनाना सतत भविष्य की कुंजी है और यह कार्यशाला हमारे पर्यावरण नेतृत्व के प्रति समर्पण को दर्शाती है। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में डॉ. श्वेता चौहान, डॉ. रमनदीप कौर, डॉ. रमा शर्मा, डॉ. शुचि शर्मा, डॉ. जितेंद्र, श्री सुमित, डॉ. राखी मेहता, डॉ. मीनाक्षी दुग्गल, श्रीमती लवलीन कौर, श्रीमती पुर्णिमा, श्रीमती नवनीता, डॉ. शैलेन्द्र, श्री परमिंदर और अन्य शिक्षक उपस्थित रहे। लेटिनेंट सोनिया महेंद्रू की अगुवाई में एनसीसी कैडेट्स ने ध्वजारोहण का आयोजन किया। आगामी तीन दिनों में प्रतिभागी जैव विविधता मानचित्रण, रचनात्मक पर्यावरणीय गतिविधियां, क्षेत्रीय अध्ययन और प्रकृति से प्रेरित कौशल विकास में भाग लेंगे जिससे वे मास्टर ट्रेनर्स के रूप में अपनी क्षमता को बढ़ा सकेंगे।

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