एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर का प्रांगण ऐसे दिग्गज कलाकारों से सुशोभित है जिनकी कलाकृतियां राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी धूम मचाती है। इसी श्रृंखला में स्कल्पचर विभाग के प्राध्यापक श्री बासुदेव बिश्वास द्वारा बनाई गई मूर्ति ‘साइलेंट मिस्ट्री’पंजाब के कलाकारों का प्रतिनिधित्व करती हुई ललित कला अकादमी नई दिल्ली द्वारा आयोजित 63वीं राष्ट्रीय कला-प्रदर्शनी के लिए चुनी गई। इस कला प्रदर्शनी में देश भर से 5700 कलाकृतियां पहुंची थी जिसमें प्रदर्शनी के लिए केवल 297 कलाकृतियों को ही चयनित किया गया। श्री बासुदेव बिश्वास पिछले चार दशकों से मूर्ति कला के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित एवं प्रतिष्ठित करने के लिए निरंतर कार्यरत है। स्क्रैप ब्रास से बनाई गई उनकी कलाकृति ‘साइलेंट मिस्ट्री’ ‘होरानो सुर’ की श्रृंखला में एक है, स्क्रैप ब्रास से बनाई गई इस मूर्ति में उन्होंने ट्रेज़, पॉट, कार के पुर्जे ,सिफ्टर,पाइप, दरवाजे की कुंडिया और धातु के बचे हुए अन्य कई भागों का इस्तेमाल किया है। उनकी यह कलाकृति रहस्यवादिता और सामंजस्य की भावना को प्रतिपादित करती है। श्री बासुदेव बिश्वास को इस कला- प्रदर्शनी में देश भर के प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ निर्णायक वृंद की भूमिका निभाने का अवसर भी प्रदान किया जिस कारण से उनको फिर अपनी कलाकृति प्रतियोगिता से हटानी पड़ी। प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने श्री बिश्वास को उनकी शानदार उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि वह इसी तरह भविष्य में कला के विकास में अपना योगदान देते रहे और हमारे कॉलेज का गौरव बढ़ाते रहे।
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