नई दिल्ली :- लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद बेरोजगारी की दर में कमी देखने को मिली थी, लेकिन एक बार फिर से यह संकट गहराता दिख रहा है। 9 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में देश में बेरोजगारी की दर 8.67 पर्सेंट पर पहुंच गई, जो बीते 5 सप्ताह में सबसे ऊंचा स्तर है। यही नहीं खरीफ फसल की बुवाई का सीजन खत्म होने के चलते ग्रामीण क्षेत्र में भी बेरोजगारी की दर में तेजी से इजाफा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 8.37 फीसदी पर पहुंच गई है, जो 2 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 6.47% थी। इसके अलावा धीरे-धीरे कम हो रही शहरी बेजरोगारी दर में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 9 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह दर 9.31% के लेवल पर पहुंच गई।

CMIE के डेटा के मुताबिक पूरे जुलाई महीने में शहरी बेरोजगारी की दर 9.15 पर्सेंट थी। इस लिहाज से देखें तो अगस्त महीने में बेरोजगारी की दर में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि लॉकडाउन खुलने के बाद बेरोजगारी में कमी आएगी और अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगा। लेकिन उलटे बेरोजगारी दर बढ़ने से चिताएं बढ़ गई हैं। दरअसल अलग-अलग राज्यों में छुटपुट लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर विपरीत असर पड़ रहा है। 12 जुलाई को समाप्त सप्ताह के बाद यह पहला मौका है, जब बेरोजगारी दर का आंकड़ा इस लेवल पर पहुंचा है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक बुवाई का सीजन समाप्त होने के बाद मजदूर अब वापस शहरी क्षेत्र का रुख कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था उन्हें काम नहीं मिल रहा है, जो काम मिल भी रहे हैं, उनमें मजदूरी कम मिल रही है। ऐसे में एक बार फिर पलायन हो रहा है।

गांवों में काम की कमी होने के चलते ही बेरोजगारी की दर में इजाफा देखने को मिला है। गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा है और इसके नतीजे में शहरी क्षेत्र में भी रोजगार का संकट और बढ़ा है। यही नहीं गांवों में मनरेगा जैसी स्कीमों के तहत जो काम मिल रहा है, वह मजदूरों की स्किल के मुताबिक काफी नहीं है। ऐसे में स्किल्ड लेबर का शहरों की ओर पलायन बढ़ा है।

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