नई दिल्ली : केन्द्र की मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से घिरी हुई है। अब आयी एक ताजा रिपोर्ट पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि सरकार की मुश्किलें आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ सकती हैं। दरअसल आने वाले दिनों में देश में नौकरियों का संकट गहराने वाला है! रिपोर्ट के अनुसार, देश में नई नौकरियों कम पैदा होंगी और इसकी वजह मशीनीकरण (ऑटोमेशन) को बताया जा रहा है।
इकॉनोमिक टाइम्स ने TeamLease Service के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें बताया गया है कि ई-कॉमर्स, बैंकिंग, फाइनेशियल सर्विस, इंश्योरेंस और बीपीओ-आईटी सेक्टर की नौकरियों में साल 2019-23 के बीच 37% की गिरावट आ सकती है। यह गिरावट 2018-22 की अनुमानित आंकड़ों से भी नीचे है।
उक्त सेक्टर्स के अलावा मार्केटिंग, एडवरटाइजिंग, कृषि, एग्रोकेमिकल, टेलीकम्यूनिकेशंस, बीपीओ, आईटी, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल जैसे अहम क्षेत्रों में भी नौकरियों की दर में गिरावट आ सकती है। टीम लीज की वीपी ऋतुपर्णा चक्रवर्ती के अनुसार, ‘अगले चार सालों में अधिकतर सेक्टर्स में लंबे समय में देखें तो नौकरियों का संकट बढ़ सकता है। और यह संकट तब तक चलेगा, जब तक हमारे नीति नियंता एआई/ ऑटोमेशन को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी नहीं बनाते हैं।’
हालांकि शॉर्ट टर्म के लिए देखें तो अप्रैल-सितंबर के दौरान नौकरियों की दर में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले समय में जो कर्मचारी आधुनिक तकनीक और नई स्किल से लैस होंगे उन्हें कम स्किलफुल कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा फायदा होगा।
इस सेक्टर पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असरःनौकरियों के इस संकट का असर सबसे ज्यादा एग्रीकल्चर और एग्रोकेमिकल सेक्टर पर पड़ सकता है और इस सेक्टर में आने वाले सालों में 70% तक नौकरियों में गिरावट आ सकती है। वहींकंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट सेक्टर में 44% नौकरियों की वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, ऑटोमोबाइल और अलाइड इंडस्ट्रीज में सबसे ज्यादा नौकरियों के मौके मिल सकते हैं, लेकिन इस सेक्टर में ग्रोथ की बात करें तो यह सिर्फ 10% ही रहेगी।