जालंधर:( संजय कालिया )

*दिव्य और आलौकिक भगवत आरती साथ श्री श्रीमद् भागवत कथा रस धारा को विश्राम किया गया”।* जिसके नाम का कीर्तन भजन करने से जन्म जन्मांतर के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। जिन को प्रणाम करने मात्र से सारे संसार एक दुख दूर हो जाते हैं, ऐसे परम पुरुष प्रभु श्री हरि को मैं प्रणाम करता हूं ,नमस्कार करता हूं।अपने पितरों के मंगल कल्याण के लिए तथा स्वयं के भगवत सेवा व भागवत प्रेम प्राप्ति के लिए शुद्ध संतो के मुखारविंद से इस परम पवित्र ग्रंथ को श्रवण व मनन करना चाहिए।

श्री श्रीमद् भागवत कथा रस धारा एवं श्री हरिनाम संकीर्तन पितृपक्ष के उपलक्ष्य में श्री राधा गोविंद देव मंदिर मंडी रोड जालंधर के प्रांगण में जो कि निरंतर 10- 9 -2022 से 25-9- 2022 तक रात्रि 7:30 से 9:30 तक भगवत कृपा से चल रहा था उसका आज दिव्य और आलौकिक भगवत आरती के साथ विश्राम किया गया।

 

इस दौरान “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” महामंत्र गाते हुए आरती को भी विश्राम दिया गया।

 

आज की विश्राम कथा में रोहिणी नंदन दास प्रभु ने ठाकुर जी की लीलाओं में कालिया नाग मर्दन लीला को याद हुए बताया कि कैसे अहंकारी कालिया नाग के अहंकार को बृजेंद्र नंदन नंदन नंदन गोपाल भगवान श्री कृष्ण ने तोड़ा और अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए कालिया नाग की पत्नियों ने अपने बच्चों सहित ठाकुर जी की स्तुति का गायन किया और अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए ठाकुर जी से विनती की ।

 

भगवत कथा के सार में भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि वास्तव में सच्चिदानंद स्वरूप मैं ही मेरा एक मात्र परमेश्वर हूं: मेरे से स्वतंत्र और कोई देवता नहीं है। मैं स्व- स्वरूप में सर्वदा ही प्रपंचाचीत अप्राकृतज सच्चिदानंद तत्व हूं। अनेक लोग सूर्य आदि देवताओं की उपासना करते हैं अर्थात संसार में मेरी माया के द्वारा प्रतिभात मेरे वैभव रूपों को ही अन्य -अन्य देवताओं के रूप में पूछते हैं, किंतु विचार करने से वे देवता लोग मेरी विभूतियां है, मेरे गुनावतार हैं। उनके एवं मेरे स्वरूप तत्व से अवगत होकर जो मेरे गुणावतार उन देवताओं का भजन करते हैं उनका भजन वैघ अर्थात उन्नति का सोपान है। देवताओं को नित्य वस्तु मानकर उनकी उपासना करना अविधि -पूर्वक भजन है। इसमें उन्हें नित्य फल की प्राप्ति नहीं होती।

 

कार्यक्रम का प्रारंभ सदानंद दास प्रभु एवं पुजारी भगवान दास प्रभु ने श्री गुरुवंदना, वैष्णव वंदना,पंच तत्व संकीर्तन से किया।

 

सनातन दास प्रभु ने ‘गौरा पंहु ना भजिया मैनु।।

एवं

हमारे ब्रज के रखवाले कन्हैया राधिका रानी।। थे

आदि गौड़िय वैष्णव भजनों के कृष्णमय रसधारा में बहने पर सबको विवश कर दिया।

 

शुकदेव दास प्रभु ने ‘ एमन दुर्मति संसार भितरे पडि़या आछिनु आमि’ पद गान किया।

 

सदानंद प्रभु ने ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरेए हरे,हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ‘महामंत्र संकीर्तन  किया।

 

इस मौके पर मदन मोहन दास प्रभु ,मनोज

गुप्ता,अमित गुप्ता,राकेश कुमार,रवि कुमार,सर्वानंद दास,वृन्दावन चंद्र दास, अनिकेत, कन्हैया शर्मा कुमार,हिमांशु,संजय गुप्ता, प्रोमिला शर्मा,प्राची शर्मा, गौरिका,सीता देवी,रजनी कालिया,नंद रानी दासी,प्रेम गुप्ता,बबिता शर्मा,तुलसी दासी, शिव्या आदि उपस्थित हुए।

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