फगवाडा:जिला कपूरथला के तहत आते फगवाड़ा में स्थित लवली प्रोफैशनल युनिवर्सिटी की एक छात्रा के कोरोना वायरस से पीड़ित होने के बाद यूनिवर्सिटी के प्रबंधन पर सवाल खड़े होने लग गए हैं।पहला सवाल तो यह कि अगर 108 एम्बुलेंस बुलाई गई थी तो गेट पर पहले सूचना क्यों नही दी गई 108 एम्बुलेंस इमरजेंसी सेवा है अगर 10 मिंट में कोई और दुर्घटना हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता? शहर में बडा रुतबा होने के कारण प्रशासन की और से भी कोई कारण बताओ नोटिस नही दिया गया।लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने 21 वर्ष की इस युवती को कल रिपोर्ट पोस्टिव आने के बाद सिविल अस्पताल कपूरथला में भर्ती करवाया गया था।सूत्रों के अनुसार जिस युवती को कोरोना पोस्टिव आया है उस होस्टल में करीब 100 विद्यार्थी भी रह रहे हैं।कुछ उसके दोस्त हैं जबकि कुछ उसके आसपास के होस्टल में रहते हैं। शाम को अक्सर ये विद्यार्थी एक साथ खाना खाने से लेकर एक साथ गूमते तक रहे हैं। जिस कारण युवती के साथ सम्पर्क में आने वालों की संख्या काफी अधिक है।यह भी पता चला है कि यूनिवर्सिटी के प्रबंधन ने अभी तक युवती के सम्पर्क में रहे लोगों को सेहत विभाग को नहीं सौंपा है ताकि वह उनकी जांच कर क्वारनटाईन कर सके। पता चला है कि सेहत विभाग ने सम्पर्क में रहे विद्यार्थियों की सूची मांगी थी जो अभी तक विभाग को नहीं दी गई है।अब सवाल यह है कि अपने रसूल और राजनीति दबाब के चलते विद्यार्थियों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कहा तक ठीक है।कही दिल्ली के तरह प्रशासन की ढील के कारण लवली यूनिवर्सिटी भी नज़मुद्दीन न बन जाए।क्यों की युवकी की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद सेहत विभाग को सभी की जानकारी देनी चाहिए थी ताकि उन्हें उसी समय क्वारटाईऩ किया जा सकता। अगर इन विद्यार्थियों को क्वारनटाईन नहीं किया जाता तो यूनिवर्सिटी में अभी भी मौजूद करीब 3000 विद्यार्थियों के इस वायरस के शिकार होने की संभावना बढ़ जाएगी।इतना ही नही लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के अंदर किसी भी मीडिया,या अन्य की बाहरी व्यक्ति को जाने की इजाजत नही है।जब इसके बारे में यूनिवर्सिटी के प्रबंधन से बात करनी चाही तो उन्होंने कहा डी सी ने उन्हें मीडिया को जानकारी देने से इनकार किया है।आखिर यूनिवर्सिटी के अंदर ऐसा क्या है जिससे मीडिया को दूर रखा जाता है।
उधर हैल्थ विभाग ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट सरकार को भेज दी है तथा साथ ही यह भी संकेत दिए हैं कि अगर लवली यूनिवर्सिटी प्रबंधन सहयोग नहीं करेगा तो इस वायरस को रोकना मुश्किल हो जाएगा। यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 100 विद्यार्थी लगातार अन्यों के सम्पर्क में हैं। अगर इनमें से कोई कोरोना की चपेट में हुआ तो समस्या गंभीर हो सकती है।