*जालंधर, अक्टूबर, 2025* : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत भारत की शिक्षा व्यवस्था लगातार बदल रही है, और इसी के साथ शिक्षकों के निरंतर प्रशिक्षण की जरूरत भी पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जा रही है। पंजाब में इस समय सरकारी स्कूलों में करीब 6,423 शिक्षकों के पद खाली हैं और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 44% प्रिंसिपल पद भी रिक्त हैं। ऐसे में शिक्षकों को नई स्किल्स और आधुनिक शिक्षा पद्धतियों से जोड़ना बेहद ज़रूरी हो गया है।
इसी दिशा में आदित्य बिरला एजुकेशन अकादमी (एबीईए) ने अपने इनसेट (इन-सर्विस एजुकेशन एंड ट्रेनिंग) प्रोग्राम का नया बैच शुरू करने की घोषणा की है। यह पहल शिक्षकों को ऐसे टूल्स, तकनीक और सोच से सशक्त बनाएगी, जिससे वे एनईपी 2020 की सोच को कक्षा में उतार सकें।
पंजाब में लगभग 59 लाख छात्र 27,000 से अधिक स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन कई शिक्षक अब भी 21वीं सदी की शिक्षण पद्धति के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष कर रहे हैं। हालिया शिक्षा सर्वेक्षणों से पता चलता है कि राज्य के लगभग 88% शिक्षक डिजिटल और कौशल-आधारित शिक्षा की ज़रूरत को समझते हैं, लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिए उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और सहयोग की आवश्यकता है।
जालंधर, जो पंजाब का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र है, वहाँ हर तीन में से एक शिक्षक ने स्वीकार किया है कि उन्हें तकनीक और एआई टूल्स को कक्षा शिक्षण में शामिल करने में कठिनाई होती है। नेतृत्व की कमी ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है ,राज्य के 44% सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं, जिससे स्कूल स्तर पर प्रशासन, मार्गदर्शन और नवाचार प्रभावित हो रहे हैं।
*एबीईए (आदित्य बिरला एजुकेशन एकेडमी) के प्रोग्राम डायरेक्टर प्रदीप्ता होरे ने कहा* , “शिक्षक ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सफलता की आत्मा हैं। लेकिन उचित प्रशिक्षण और समर्थन के बिना, बेहतरीन नीतियाँ भी प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पातीं। इनसेट प्रोग्राम का उद्देश्य शिक्षकों को वह दृष्टिकोण और व्यवहारिक रणनीतियाँ देना है, जो उन्हें बदलते शैक्षणिक माहौल में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करें।”
इनसेट प्रोग्राम सिर्फ सैद्धांतिक चर्चा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शोध-आधारित, व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, जो शिक्षण और नेतृत्व, दोनों से जुड़ी चुनौतियों पर केंद्रित है। आगामी बैच में शामिल कुछ प्रमुख मॉड्यूल इस प्रकार हैं:
* ग्लोबल एजुकेटर्स का निर्माण: 21वीं सदी के कौशल और वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करना।
* स्मार्ट टीचिंग, लर्निंग और असेसमेंट विद एआई: तकनीक और डेटा-आधारित सीखने को शामिल करना।
* सोशल-इमोशनल लर्निंग इन स्कूल्स: विद्यार्थियों की भागीदारी और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।
* एजुकेशनल लीडरशिप एंड स्कूल मैनेजमेंट: चिंतनशील और दृढ़ नेतृत्व विकसित करना।
* इनक्लूसिव एजुकेशन एंड डिफरेंशिएटेड इंस्ट्रक्शन: कक्षा में विविध सीखने की ज़रूरतों को संबोधित करना।
एबीईए के पिछले इनसेट बैचों के विश्लेषण के अनुसार, शिक्षकों के बीच सबसे पसंदीदा मॉड्यूल रहे हैं: स्मार्ट टीचिंग विद एआई (34%), शेपिंग ग्लोबल एजुकेटर्स (28%), प्रोफेशनल डेवलपमेंट एंड टीचर ग्रोथ (16%) और लीडरशिप फॉर लर्निंग (22%)। यह दर्शाता है कि शिक्षक व्यावहारिक, तकनीक-आधारित शिक्षण, सतत पेशेवर विकास और प्रभावी मूल्यांकन पद्धतियों में गहरी रुचि रखते हैं।
पंजाब और जालंधर में इनसेट प्रोग्राम का विस्तार करके, एबीईए का उद्देश्य महानगरों से आगे भी शिक्षकों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना है। यह प्रोग्राम स्कूलों को एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के मानकों को पूरा करने में सक्षम बनाता है, साथ ही स्थायी और अनुभवात्मक शिक्षण को बढ़ावा देता है। इसमें कक्षा में एआई टूल्स के उपयोग और प्रायोगिक सीखने पर खास ध्यान दिया गया है।
*इन वर्कशॉप्स में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के सत्र होंगे, ताकि शहरों और ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों को लचीलापन मिल सके।*
*प्रदीप्ता होरे ने आगे कहा* , “एबीईए का मकसद सीधा है; शिक्षकों तक उच्च-गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण सुलभ और असरदार तरीके से पहुँचाना। जब शिक्षक आगे बढ़ते हैं, तो स्कूल बदलते हैं, और उसी के साथ देश का सीखने का स्तर भी।”
शिक्षा में जागरूकता बढ़ाने के लिए एबीईए 1 नवंबर को एक नि:शुल्क परिचयात्मक वर्कशॉप आयोजित करेगा, जिसमें शिक्षकों और स्कूल लीडर्स को इनसेट प्रोग्राम के फायदों, ढांचे और प्रभाव के बारे में जानकारी दी जाएगी।
शिक्षक और स्कूल प्रशासक इस सत्र या आगामी इनसेट बैच के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं: https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfLbo2R92iXrf3hzJ-LKrNydIu233SfJUfF1HTL-tzaEUwHEA/viewform
https://www.abea.in/school-services

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