
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में गिने-चुने दलित न्यायाधीशों में से एक जस्टिस बी. आर. गवई के 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने पर अनुसूचित जाति समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। उनके 1 अगस्त 2024 के फैसले—जिसमें उन्होंने अनुसूचित जातियों में “क्रीमी लेयर” लागू करने का समर्थन किया—को दलित विद्वानों, कार्यकर्ताओं और संवैधानिक विशेषज्ञों ने व्यापक रूप से आलोचना का विषय बनाया है।
यह विचार श्री एस. आर. लाधड़, आईएएस (सेवानिवृत्त) और पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता ने व्यक्त किया।
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1 अगस्त 2024 का फैसला — जिसने दलित हितों को चोट पहुँचाई
क्रीमी लेयर की अवधारणा एससी समुदाय पर कभी लागू नहीं हुई क्योंकि अस्पृश्यता आधारित भेदभाव शिक्षा और आर्थिक स्थिति बदलने से समाप्त नहीं होता। जस्टिस गवई के रुख से:
• संवैधानिक आरक्षण का उद्देश्य कमजोर होता है
• सरकारों को लाभ न देने का नया हथियार मिल जाता है
• दलित उम्मीदवारों को जीवनभर मिलने वाली जातीय बाधाओं को अनदेखा किया जाता है
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बैकलॉग रिक्तियों पर खामोशी
दलित समुदाय को उम्मीद थी कि जस्टिस गवई अपने पद का उपयोग इन असली चिंताओं पर ध्यान देने के लिए करेंगे:
• केंद्र और राज्यों में आरक्षित बैकलॉग पदों की भारी संख्या
• उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में दलित प्रतिनिधित्व का लगभग अभाव
• न्यायपालिका, विश्वविद्यालयों और अन्य सरकारी निकायों में खाली पड़े एससी पदों की पूर्ति
लेकिन इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी पूर्ण खामोशी ने दलित समाज को निराश किया।
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अगर पद खाली रहेंगे तो फायदा किसका होगा?
यदि आर्थिक रूप से सक्षम दलित उम्मीदवारों को भी उच्च पदों पर आरक्षण से बाहर किया जाता है, तो:
• पद या तो खाली रह जाते हैं,
• या फिर अन्य वर्गों के पक्ष में चले जाते हैं।
अंततः—
खाली पद सवर्ण वर्गों के हित में जाते हैं, दलितों के नहीं।
यह आरक्षण के मूल उद्देश्य को ही समाप्त कर देता है।
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गवई बनाम अंबेडकर — एक कड़वी तुलना
इसी पृष्ठभूमि में दलित बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता और अंबेडकरवादी संगठन मानते हैं:
“दलित दृष्टिकोण से, जस्टिस बी. आर. गवई डॉ. भीमराव अंबेडकर की परछाईं तक नहीं हैं।”
बाबासाहेब ने जीवनभर प्रतिनिधित्व, सम्मान, समानता और सशक्तिकरण के लिए संघर्ष किया।
लेकिन जस्टिस गवई के फैसले और उनकी खामोशी इन मूल अंबेडकरवादी सिद्धांतों की रक्षा नहीं कर सके
— एस. आर. लाधड़, आईएएस (सेवानिवृत्त)
वरिष्ठ नेता, भारतीय जनता पार्टी, पंजाब