जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में सामुहिक आलौकिक मासिक यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमानो से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन,घट स्थापन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।

सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने मासिक अलौकिक हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को प्रवचनों से निहाल करते हुए कहा कि जीवन में वे सभी धन्य भाग्य हैं जिन्हें सत्संग का लाभ मिलता है और जो परमात्मा के प्रति प्रेम और श्रद्धा का भाव रखते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि परमात्मा जर्रे-जर्रे में समाया है। जिसने उसे जाना है उसी ने उसे पाया है। उसके नाम का जो भी कीर्तन करता है उसके जीवन की डोर परमात्मा स्वयं अपने हाथों में ले लेता है।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि वह प्रभु अत्यंत दयालु और कृपालु है। संसार के रिश्ते-नाते मनुष्य को दुखी बनाते हैं, लेकिन जो एक बार अपना रिश्ता परमात्मा से जोड़ ले वह कभी दुखी नहीं हो सकता। उसकी शरण में रहकर मनुष्य अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। उसकी आज्ञाओं का पालन कर जीवन को नियम में जीना भी ईश्वर को बहुत पसंद है। उससे जुडऩे के लिए उसे हमेशा अपने हृदय मंदिर में बसाएं। वह धन का नहीं भाव का भूखा होता है। ईश्वर भक्ति से प्रसन्न होते हैं, चढ़ावे से नहीं।
प्रेम में, भाव में और भक्ति में बड़ी शक्ति होती है। ऐसे में यदि कोई भक्त मन से परमात्मा के समीप रहे तो उसमें भी नैतिक व सात्विक गुण उत्पन्न होने लगते हैं। व्यक्ति उदार चरित्र वाला बन जाता है। वह संकुचित मानसिकताओं से ऊपर उठने लगता है। वह स्वयं के अस्तित्व को समझकर जीवन को ऊंचाई की तरफ बढ़ाता है। वह आत्म-स्वरूप में स्थित होकर शांत चित्त वाला होता है। वह जान जाता है कि प्रभु को निर्मल मन वाले व्यक्ति ही प्रिय होते हैं। वह सदैव अहंकार आदि दुगरुणों से दूर हटकर मानवीय सेवा में तत्परता से जुट जाता है। मन में यदि हमेशा उसके नाम का भाव बना रहे तो उसकी कृपा बरसती है। उसे चालाकी बिल्कुल पसंद नहीं।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि भक्त जो भी करता है, प्रभु को समर्पित करता है। वह परमपिता परमेश्वर तो सर्वत्र है-हममें ही बसा है-बस आंख उठाकर झांकने भर की देर है। जहां भक्ति है वहां शक्ति है। जो ईश्वर भक्त है वह अपने साथ-साथ औरों का भी का भला करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को अपनाया, अहंकार के प्रतीक दुर्योधन को नहीं। जीवन का एकमात्र सहारा, विश्राम स्थल वह प्रभु ही है। हम हैं कि दुनियादारी में फंसकर रह गए हैं। आज से उसके नाम संकीर्तन व जप का सहारा लेना शुरू कर दीजिए। तभी यह मानव जीवन सफल होगा।
इस अवसर पर श्री कंठ जज, श्वेता भारद्वाज, निर्मल शर्मा,सौरभ अरोडा,अमरेंद्र कुमार शर्मा, अमृतपाल, प्रदीप , दिनेश सेठ,सौरभ भाटिया,विवेक अग्रवाल,दिनेश ,नरेश,कोमल,वेद प्रकाश, मुनीष मैहरा, जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया,रिंकू सैनी,नरेंद्र कुमार, कमलजीत, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,बावा जोशी,राकेश शर्मा,नवीन , प्रदीप,गौरी केतन शर्मा, सुधीर, सुमीत ,जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा,दानिश, रितु, कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,शंकर, संदीप,मनी राम,प्रदीप वर्मा, गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा, रोहित भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक,दसोंधा सिंह, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, अजय सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

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