जालंधर,: सिविल अस्पताल जालंधर में रैपिड किट्स आ गई है। अब 10 मिनट के भीतर ही टेस्ट करके पता चल जाएगा कि मरीज कोरोना से संक्रमित है या नहीं। इससे पहले टेस्ट के लिए अमृतसर सेंपल भेजे जाते थे। डॉक्टरों के मुताबिक जब भी कोई व्यक्ति किसी वायरस का शिकार होता है तो उसके शरीर में उस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनती हैं। रैपिड टेस्ट में उन्हीं एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है। इसे रैपिड टेस्ट इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके नतीजे बहुत ही जल्दी आ जाते हैं। महज 10 मिनट में ही इसका रिजल्ट सामने होता है।
इसमें व्यक्ति का ब्लड सैंपल लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल यानी सीरम से जुड़े टेस्ट किए जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति की उंगली से महज एक-दो बूंद खून की जरूरत होती है। इससे ये पता चल जाता है कि हमारे इम्यून सिस्टम ने वायरस को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडीज बनाए हैं या नहीं। ऐसे में जिन लोगों में कोरोना के संक्रमण के लक्षण कभी नहीं दिखते, उनमें भी ये आसानी से समझा जा सकता है कि वह संक्रमित है या नहीं, या पहले संक्रमित था या नहीं।
मौजूदा समय में कोरोना वायरस का संक्रमण पता लगाने के लिए रियल टाइम पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) किया जाता है। इसमें लोगों का स्वैब सैंपल लिया जाता है, जो
आरएनए पर आधारित होता है। यानी इस टेस्ट में मरीज के शरीर में वायरस के आरएनए जीनोम के सबूत खोजे जाते हैं।
अगर रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है तो हो सकता है कि वह व्यक्ति कोविड-19 का मरीज हो, ऐसे में उसे घर में ही आइसोलेशन में रहने या फिर अस्पताल में रखने की सलाह दी जाती है। वहीं अगर ये टेस्ट निगेटिव आता है तो फिर उसका रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है। रियल टाइम पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आने पर अस्पताल या घर में आइसोलेशन में रखा जाता है। वहीं रियल टाइम पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने पर माना जाता है कि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हैं।
अगर किसी शख्स का पीसीआर टेस्ट नहीं हो पाता है तो उसे होम क्वारंटीन में रखा जाता है और 10 दिन बाद दोबारा से एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है। यानी दोनों ही मामलों में ये पूरी तरह से कनफर्म नहीं होता कि मरीज कोरोना पॉजिटिव है या नहीं, कनफर्म रिपोर्ट के लिए रियल टाइम पीसीआर टेस्ट ही करना होता है। हालांकि, ये पता चल जाता है कि व्यक्ति का शरीर कोविड-19 से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना रहा है या नहीं।