कैनबराः जी हां ये बिल्कुल सच है अब आपके घर में खुद सामान उड़कर पहुंचेगा और आपको आपके गार्डन में सीधी डिलीवरी होगा। तकनीकी दुनिया में अब इसी आसान बना दिया है। पिछले कई सालों से ड्रोन के जरिए सामान की डिलीवरी की कोशिश में कई कंपनियां लगी थीं और इसके हजारों ट्रायल भी हुए। लेकिन दुनिया में पहली कॉमर्शियल ड्रोन डिलीवरी सर्विस शुरू करने का श्रेय गूगल को मिला है।
एक अमेरिकी कंपनी को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी में इस सर्विस को देने की इजाजत मिल गई है।
गूगल विंग कैनबरा में करीब 100 घरों को ड्रोन के जरिए खाना, कॉफी और दवाओं की डिलीवरी करेगी। गूगल 2014 से ही इसकी टेस्टिंग कर रही थी। डेढ़ साल से इसका ट्रायल भी चल रहा था। ट्रायल के दौरान कंपनी ने 3,000 पार्सल की डिलीवरी की।
ट्रायल के दौरान फीडबैक के आधार पर दूर कीं शिकायतेंः शुरुआत में लोगों ने ड्रोन से बहुत ज्यादा आवाज आने की शिकायतें आईं। इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर मुहिम भी चलाई गई। इसके बाद गूगल ने इसमें कई सुधार किए। तब जाकर इसकी कॉमर्शियल सर्विस की अनुमति दी गई है।
गूगल ने बयान जारी कर कहा कि लोगों के फीडबैक से सिस्टम को सुधारने में काफी मदद मिली है। उम्मीद है कि हम इसे समय के साथ और बेहतर बनाएंगे और यह सर्विस बड़े पैमाने पर अन्य शहरों में भी शुरू होगी।
2030 तक ऑस्ट्रेलिया में 25% डिलीवरी ड्रोन से होने का अनुमान
गूगल का मानना है कि सिर्फ कैनबरा में ही ड्रोन डिलीवरी सर्विस 4 करोड़ ऑस्ट्रेलियन डॉलर (करीब 200 करोड़ रुपए) का बिजनेस कंपनी को देगी। एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक ऑस्ट्रेलिया में 25% डिलीवरी ड्रोन के जरिए होगी।
अमेजन और अलीबाबा भी ड्रोन डिलीवरी सर्विस पर काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने ब्रिटेन, अमेरिका और चीन में इसके कई ट्रायल भी आयोजित किए हैं। लेकिन इन्हें अब तक इजाजत नहीं मिली है।
ड्रोन को सड़क या भीड़ वाले इलाके के ऊपर उड़ने की मनाही होगी और देर रात डिलीवरी नहीं की जाएगी।
ड्रोन से डिलीवरी का समय सोमवार से शनिवार तक सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक सर्विस उपलब्ध रहेगी। रविवार को यह सर्विस सुबह 8 से रात 8 बजे तक रहेगी।
ड्रोन में खरीदार का पता जीपीएस से फीड होता है। ड्रोन में खरीदार के घर का पता जीपीएस के जरिए फीड किया जाता है। पार्सल स्ट्रिंग के जरिए ड्रोन से जुड़ा होता। ड्रोन खरीदार के गार्डन के ऊपर जाकर पार्सल को ड्रॉप कर ड्रोन वापस चला जाता है।