भारतीय के लिए गर्व का क्षण है कि सी.टी. विश्वविद्यालय के दो प्रतिष्ठित शोधकर्ता — डॉ. वीर विक्रम और कौणव रॉय चौधरी — को जापान के प्रसिद्ध तेइक्यो विश्वविद्यालय द्वारा एक विशेष अंतरराष्ट्रीय शोध विनिमय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

यह सम्मानजनक आमंत्रण वैश्विक अनुसंधान और नवाचार में सी.टी. विश्वविद्यालय की तेजी से बढ़ती पहचान का स्पष्ट प्रमाण है।

यह कार्यक्रम तेइक्यो विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल माइकोलॉजी में आयोजित किया जाएगा, जिसका मुख्य फोकस होगा रेशम कीट मॉडल का उपयोग करके संक्रामक रोगों पर उन्नत बायोमेडिकल रिसर्च करना। यह मॉडल बायोमेडिकल साइंस की अत्याधुनिक तकनीकों में से एक है, जो पारंपरिक रीढ़धारी परीक्षणों के लिए नैतिक, कुशल और आशाजनक विकल्प प्रस्तुत करता है।

यह आमंत्रण डॉ. अत्सुशी मियाशिता द्वारा औपचारिक रूप से भेजा गया है, जो एंटीफंगल इम्यूनोबायोलॉजी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञ हैं।

डॉ. मियाशिता ने विशेष रूप से सी.टी. विश्वविद्यालय द्वारा ड्रोसोफिला और ज़ेब्राफ़िश मॉडल के माध्यम से न्यूरोटॉक्सिकोलॉजी और इकोटॉक्सिकोलॉजी जैसे क्षेत्रों में किए गए उल्लेखनीय कार्यों की सराहना की — जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरणीय सततता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

इस अकादमिक विनिमय के तहत, डॉ. वीर विक्रम और श्री चौधरी तेइक्यो विश्वविद्यालय में दो सप्ताह तक हाथों-हाथ प्रशिक्षण, अत्याधुनिक प्रयोगात्मक तकनीकों का अभ्यास करेंगे और विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान करेंगे।

यह सहयोग भारत और जापान के बीच अकादमिक और वैज्ञानिक संबंधों को और मजबूत करेगा, साथ ही संयुक्त शोध, सह-प्रकाशन, और भविष्य की अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं के नए रास्ते खोलेगा।

तेइक्यो विश्वविद्यालय इस पूरी यात्रा — जिसमें शोध, यात्रा और आवास का खर्च शामिल है — को प्रायोजित करेगा, जो उनके वैश्विक अकादमिक सहयोग के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, सी.टी. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को 400,000 येन की अनुसंधान अनुदान राशि भी प्रदान की गई है, ताकि वे न्यूरोसाइंस के अपने चल रहे शोध को और आगे बढ़ा सकें — एक ऐसा क्षेत्र जो सी.टी. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दृष्टिकोण का मुख्य स्तंभ रहा है।

इस गौरवपूर्ण अवसर पर सी.टी. विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री चरणजीत सिंह चन्नी ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान टीम को मिली इस वैश्विक मान्यता पर गहरी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह आमंत्रण इस बात का प्रतीक है कि सी.टी. विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय अकादमिक मंच पर किस प्रकार अग्रणी भूमिका निभा रहा है।”

वहीं, सी.टी. विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज़ के प्राचार्य डॉ. वीर विक्रम ने अपने उत्साह को साझा करते हुए कहा, “ऐसे उच्चस्तरीय कार्यक्रम का हिस्सा बनना हमारे लिए एक सम्मान और विनम्र अनुभव है। यह न केवल हमारे वैज्ञानिक ज्ञान को और गहरा करेगा, बल्कि हमें सी.टी. विश्वविद्यालय और भारत को वैश्विक शोध मंच पर प्रतिनिधित्व करने का अवसर भी देगा।

Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।