
चंडीगढ़ , 18 जून: अमृतसर जिले के मजीठा क्षेत्र में मेथनॉल से बनी जहरीली शराब से मरने वाले 27 लोगों में से 16 अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित थे। भगवंत मान सरकार द्वारा इन तथ्यों को छिपाने के जानबूझकर किए जा रहे प्रयास को विफल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित परिवारों के गांवों का दौरा किया। भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए अनुसूचित जाति आयोग ने सिविल व पुलिस प्रशासन को 20 जून तक दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में लिखित जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। भाजपा नेता परमजीत सिंह कैंथ ने कहा कि मई माह में मेथनॉल से बनी जहरीली शराब के कारण अमृतसर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में हुई 27 से अधिक लोगों की मौतों को गंभीरता से लेते हुए भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा ने जहरीली शराब के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के समक्ष जोरदार आवाज उठाई थी तथा पीड़ित परिवार से मुलाकात कर पीड़ितों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया था। सरदार कैंथ ने कहा कि नोटिस में कहा गया है कि आयोग ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए मामले की जांच करने का निर्णय लिया है। दलित नेता कैंथ ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने जहरीली शराब माफिया के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न करने के लिए पंजाब सरकार की आलोचना की और कहा कि सरकार शराब माफिया को बेनकाब करने में बुरी तरह विफल रही है। राजनीतिक दबाव के कारण नागरिक और पुलिस प्रशासन अनुसूचित जाति समुदाय की मौतों की संख्या का खुलासा नहीं करना चाहता था । उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने उन लोगों के खिलाफ अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज होने के बाद भी मुआवजा राशि जारी नहीं की, लेकिन भगवंत मान सरकार की टालमटोल की नीति और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने में उदासीनता दर्शाती है कि सरकार दलित विरोधी है। मान सरकार इन तथ्यों को छिपाना चाहती है। भारतीय जनता पार्टी सरकार के ऐसे इरादों को सफल नहीं होने देगी।